(1) राष्टीय संगठन
(2) राज्य/प्रान्तीय संगठन
(3) जिला स्तरीय संगठन
(4) नगरीय संगठन
(5) विधानसभा क्षेत्र स्तरीय संगठन
(6) प्रारम्भिक समितियाँ
पार्टी संगठन के निम्नलिखित सह-अंग होंगे:
(1) राष्टीय सम्मेलन
(2) राष्टीय कार्यकारिणी
(1) राज्य सम्मेलन
(2) राज्य कार्यकारिणी
(1) जिला सम्मेलन
(2) जिला कार्यकारिणी
(1) नगर निगम सम्मेलन एवं नगर निगम कार्यकारिणी
(2) नगर पालिका सम्मेलन एवं नगर पालिका कार्यकारिणी
(1) विघानसभा क्षेत्र सम्मेलन
(2) विधानसभा क्षेत्र कार्यकारिणी
(6) प्रारम्भिक समितियाँ
(1) प्रारम्भिक समिति का क्षेत्र एक मतदान केन्द्र होगा।
(2) इस संविधान में उल्लिखेत राज्य शब्द में केन्द्र शामिल क्षेत्र भी शामिल होगा।
(3) 3 लाख से ज्यादा आबादी वाले नगरों के संगठन को इसे संविधान के अन्तर्गत पृथक जिला स्तरीय संगठन माना
जायेगा।
(1) प्रारम्भिक समिति का गठन केवल वहीं हो सकेगा, जहाँ एक मतदान केन्द्र के प्रत्येक बूथ पर कम से कम एक
सक्रिय सदस्य हो। सक्रिय सदस्यो की सूची में से ही प्रारम्भिक समिति का अध्यक्ष विधानसभा क्षेत्र
कार्यकारिणी द्वारा मनोनीत किया जायेगा।
(2) 25 प्रारम्भिक सदस्यों पर प्रारम्भिक समिति अध्यक्ष सहित सात सदस्यीय और 25 से ज्यादा सदस्य होने पर
ग्यारह सदस्यीय होगी। जिनका चुनाव प्रारम्भिक सदस्यों द्वारा किया जायेगा।
(3) नगर पंचायत के प्रत्येक वार्ड को प्रारम्भिक समिति माना जायेगा।
(1) विधान सभा क्षेत्र की सीमा के अन्दर जिसमें नगर पंचायत भी शामिल है, प्रत्येक सक्रिय सदस्य विधानसभा
क्षेत्र का सदस्य होगा।
(2) पार्टी के सक्रिय सदस्य एवं विधानसभा क्षेत्र की सीमा के अन्दर निवास करने वाले पार्टी के विधायक,
सांसद, अध्यक्ष जिला पंचायत, अध्यक्ष क्षेत्र पंचायत, अध्यक्ष जिला सहकारी बैंक, अध्यक्ष डी0 सी0 एफ0,
सदस्य जिला पंचायत, संचालक जिला सहकारी बैंक और शीर्षस्थ सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष एवं निदेशक
विधानसभा क्षेत्र कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे। पदेन सदस्यों के लिये पार्टी का सक्रिय सदस्य होना
अनिवार्य है। जिनका चुनाव प्रारम्भिक सदस्यों द्धारा किया जायेगा।
(3) विधानसभा क्षेत्र सम्मेलन द्वारा अघ्यक्ष सहित 21 सदस्यीय कार्यकारिणी के चुनाव के साथ-साथ क्षेत्र
के सक्रिय सदस्यों की कुल संख्या का 20 प्रतिशत जिला सम्मेलन 10 प्रतिशत राज्य सम्मेलन तथा 5 प्रतिशत
राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिनिधियों का चुनाव किया जायेगा। सभी स्तर के प्रतिनिधियों के लिये सक्रिय
सदस्य होना आवश्यक होगा। अध्यक्ष कार्यकारिणी के सदस्यों में से एक उपाध्यक्ष, एवं एक महासचिव, तीन
सचिवों एवं एक कोषाध्यक्ष को मनोनीत करेगा।
(4) विधान सभा क्षेत्र कार्यकारिणी का अध्यक्ष कार्यकारिणी की बैठक एक माह में कम से कम एक बार अवश्य
बुलायेगा।
जिला सम्मेलन में निम्नलिखित सदस्य होंगे :-
(1) जिले के अन्तर्गत आने वाले विधानसभा क्षेत्र सम्मेलनों एवं तीन लाख से कम आबादी वाले नगर पालिकाओं
के सम्मेलन द्वारा जिला सम्मेलन के लिये चुने हुए प्रतिनिधि।
(2) जिले के पार्टी के सभी वर्तमान एवं पूर्व सांसद और विधायक, अध्यक्ष एवं सदस्य जिलापंचायत, अध्यक्ष
जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष जिला सहकारी संघ अध्यक्ष क्षेत्र अध्यक्ष क्षेत्र पंचायत और राज्य की शीर्ष
सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष एवं संचालक तथा विधान सभा क्षेत्र अध्यक्ष जिला सम्मेलन के पदेन सदस्य
होंगे, बशर्ते वे पार्टी के सक्रिय सदस्य हों। सभी जिला कार्यकारिणी के पदेन सदस्य भी होंगे।
(3) जिला सम्मेलन अध्यक्ष सहित 41 सदस्यीय जिला कार्यकारिणी का चुनाव करेगा। अध्यक्ष इन सदस्यों में एक
उपाध्यक्ष, एवं महासचिव एक कोषाध्यक्ष व सात सचिवों को मनोनीत करेगा। जिला कार्यकारिणी बैठक महीने में
एक बार अवश्य बुलाई जायेगी।
(4) जब तक 50 प्रतिशत विधानसभा क्षेत्र समितियों का गठन नही होता, जिला सम्मेलन और जिला कार्यकारिणी का
गठन नही हो सकेगा।
इन सम्मेलनो का गठन निम्नवत होगा।
(1) नगर निगम/नगर पालिका (तीन लाख आबादी या इससे अधिक) के प्रत्येक वार्ड के सम्मेलन में वार्ड के सभी
सक्रिय सदस्य प्रीतिनिधि होंगे। जो कुल सक्रिय सदस्यों में से 20 प्रतिशत नगर पालिका सम्मेलन, 10
प्रतिशत राज्य सम्मेलन तथा 5 प्रतिशत राष्ट्रीय सम्मेलन के लिये प्रतिनिधियों का चुनाव करेंगें।
(2) नगरपालिका (तीन लाख से कम आबादी) के सभी सक्रिय सदस्य नगरपालिका सम्मेलन प्रतिनिधि होंगे। जो 20
प्रतिशत सक्रिय सदस्यों को जिला सम्मेलन 10 प्रतिशत सक्रिय सदस्यों को राज्य सम्मेलन तथा 5 प्रतिशत
सक्रिय सदस्यों को राष्ट्रीय सम्मेलन के लिये प्रतिनिधि के रूप में चुनेंगे।
(3) नगर निगम और नगरपालिका की सीमा के अन्तर्गत निवास करने वाले विधायक, संसद सदस्य, नगर निगम अध्यक्ष,
नगर निगम पार्षद, तथा पगरपालिका सभासद, यदि ये पार्टी के सक्रिय सदस्य है तो नगर निगम सम्मेलन अथवा
नगरपालिका सम्मेलन के प्रतिनिधि होंगे। ये सभी नगर निगम/नगर पालिका कार्यकारिणी पदेन सदस्य भी होंगे।
(1) नगर निगम की कार्यकारिणी के अध्यक्ष सहित 31 सदस्यों का चुनाव नगर निगम स्ममेलन करेगा और अध्यक्ष
कार्यकारिणी के सदस्यों मे से एक उपाध्यक्ष एक महासचिव, एक कोषाध्यक्ष एवं 5 सचिवों को मनोनीत
करेगा।
(2) नगरपालिका की कार्यकारिणी के अध्यक्ष सहित 21 सदस्यीय कार्यकारिणी का चुनाव नगरपालिका सम्मेलन
करेगा। अध्यक्ष कार्यकारिणी के सदस्यों में से एक उपाध्यक्ष, एक महासचिव, एक कोषाध्यक्ष एवं तीन सचिवों
को मनोनीत करेगा।
(3) नगर निगम एवं नगरपालिका के वार्ड स्तर पर भी पार्टी की इकाइयों का गठन किया जायेगा।
(4) नगरपालिका में प्रत्येक वार्ड से कम से कम 5 तथा नगर निगम में प्रत्येक वार्ड से कम से कम 10 सकिय
सदस्यों के होने पर ही वार्ड कमेटी का गठन किया जा सकेगा। वार्ड के प्रारम्भिक सदस्य वार्ड कार्यकारिणी
के अघ्यक्ष एवं 20 सदस्यों का चुनाव करेंगे। अघ्यक्ष सदस्यों में से एक उपाघ्यक्ष, एव महासचिव और तीन
सचिवों को मनोतीत करेगा। पदाधिकारी केवल सक्रिय सदस्य ही हो सकेंगे।
(5) कम से कम 50 प्रतिशत वार्ड समितियों का गठन होने पर ही नगरपालिका सम्मेलन कार्यसमिति एवं नगर निगम
सम्मेलन कार्यकारिणी का गठन हो सकेगा। कार्यकारिणी की बैठक महीने में एक बार अवश्य बुलाई जायेगी।
राज्य सम्मेलन के निम्नलिखित प्रतिनिधि होंगे :-
(1) राज्य कार्यकारिणी द्वारा नामित निर्वाचन अधिकारी की देख-रेख में विधानसभा क्षेत्रसम्मेलनों, नगर
निगम/नगर पालिका (तीन लाख आबादी) के वार्ड सम्मेलनों तथा नगरपालिका (तीन लाख से कम आबादी) के सममेलनों
द्वारा चयनित राज्य सम्मेलन के प्रतिनिधि।
(2) मुम्बई एवं कोलकाता महानगर (राज्य दर्जा प्राप्त) के 15 वार्डो को मिलाकर एक जिला के समकक्ष माना
जायेगा। महानगरों में अघ्यक्षों की संस्तुति पर राष्ट्रीय अघ्यक्ष जिला इकाई का निर्णय करेगा।
(3) प्रत्येक वार्ड के सम्मेलन में वार्ड के भी सक्रिय सदस्य प्रतिनिधि होंगे। विधानसभा क्षेत्र की
कार्यकारिणी की तरह चुनाव करेंगे तथा कुल सक्रिय सदस्यों मे से 20 प्रतिशत जिला सम्मेलन, 10 प्रतिशत
महानगर सम्मेलन तथा 5 प्रतिशत सक्रिय सदस्यों को राष्ट्रीय सम्मेलन का प्रतिनिधि चुनेगें।
(4) महाराष्ट्र तथा पश्चिम बंगाल राज्य सम्मेलनों, मे निगम के पार्टी पार्षद तथा महानगर राज्य
कार्यकारिणी के पदाधिकारी तथा सदस्यगण प्रतिनिधि होंगे।
(5) संबन्धित राज्य के जनशक्ति एकता पार्टी के सभी संसद सदस्य, विधायक, अध्यक्ष जिला पंचायत, अघ्यक्ष
नगरपालिका परिषद, अध्यक्ष नगर निगम, अध्यक्ष जिला सहकारी बैंक, अध्यक्ष जिला सहकारी संघ, पूर्व सांसद,
पूर्व विधायक, राज्य कार्यकारिणी के पूर्व अध्यक्ष, समस्त जिला कार्यकारिणी के अध्यक्ष, तीन लाख के ऊपर
की आबादी वाले सभी नगर अध्यक्ष, शीर्षस्थ सहकारी संस्थाओं के अघ्यक्ष भी राज्य सम्मेलन के प्रतिनिधि
होंगे। शर्त यह है कि उक्त सभी को पार्टी का सकिय सदस्य होना अनिवार्य होगा।
(6) जनशक्ति एकता पार्टी के सम्बद्ध सगठनों के जिला अध्यक्ष एवं राज्य स्तरीय अघ्यक्ष भी राज्य सम्मेलन
के प्रतिनिध होंगे।
(7) जब तक किसी राज्य के अन्तर्गत कम से कम 30 प्रतिशत जिला सम्मेलनों/नगर निगम सम्मेलनों/नगर पालिका
सम्मेलनों का गठन नही होता, राज्य सम्मेलन का गठन नही हो सकेगा।
(1) राज्य सम्मेलन, राज्य कार्यकारिणी के लिये उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आन्ध्र
प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान राज्यों के लिये अध्यक्ष सहित 51 सदस्यों एवं शेष राज्यों के लिये
अध्यक्ष सहित 31 सदस्यों का निर्वाचन करेगा। अध्यक्ष कार्यकारिणी के सदस्यों मे से एक उपाध्यक्ष, एक
महासचिव, एक कोषाध्यक्ष एवं 12 सचिवों को मनोनीत करेगा।
(2) राज्य विधानसभा एवं विधान परिषद में पार्टी विधायक दल के नेता राज्य कार्यकरिणी के पदेन सदस्य
होंगे।
(3) राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अपने-अपने राज्यों मे राज्य कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे।
सम्बद्ध संगठनों के राज्य अध्यक्ष एवं सहकारी शीर्षस्थ संस्थाओं के राज्य अध्यक्ष राज्य कार्यकारिणी के
पदेन सदस्य होंगे। अपने जिले की कार्यकारिणी में भी राज्य कार्यकारिणी के सदस्य पदेन सदस्य होंगे।
(4) राज्य कार्यकारिणी का अध्यक्ष दो माह में कम से कम एक बार राज्य कार्यकारिणी की बैठक अवश्य
बुलायेगा।
(5) राज्य कार्यकारिणी के 50 प्रतिशत सदस्यों अथवा राज्य सम्मेलन के 50 प्रतिशत सदस्यों की माँग पर
राज्य कार्यकारिणी एवं राज्य सम्मेलन की बैठक बुलाने को अध्यक्ष बाध्य होगा।
(6) राज्य सम्मेलन तीन वर्ष में एक बार आवश्य आहुत किया जायेगा।
(1) राष्ट्रीय सम्मेलन मे निम्नलिखित प्रतिनिधि होंगें :-
(क) प्रत्येक राज्य में राष्ट्रीय सम्मेलन के लिये चयनित प्रतिनिधि।
(ख) पार्टी के सभी संसद, सभी विधायक एवं सभी भूत पूर्व संसद सदस्य और
पार्टी के सभी जिला पंचायत
अध्यक्ष।
(ग) पार्टी के सभी राज्य अध्यक्ष, सम्बद्ध संगठनो के सभी राज्य एवं
राष्ट्रीय अध्यक्ष।
(घ) राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य।
(ड) पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, यदि वह पार्टी के सक्रिय सदस्य
हों।
(च) इस धारा की उप धारा 1 (क) से (ड) के प्रतिनिधियों की कुल संख्या के
10 प्रतिशत प्रतिनिधि राष्ट्रीय
सम्मेलन हेतु राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किये जायेंगे।
(2) राष्ट्रीय कार्यकारिणी के प्रस्ताव पर अथवा राष्ट्रीय सम्मेलन के 40 प्रतिशत सदस्यों की माँग पर
राष्ट्रीय सम्मेलन का विशेष अधिवेशन राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा कभी भी बुलाया जा सकता है।
(3) 3 वर्ष के अन्दर कम से कम एक बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित तिथि एवं स्थान पर
राष्ट्रीय सम्मेलन की बैठक अवश्य होगी।
(4) राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिनिधियों के चयन को लेकर यदि किसी को कोई अपत्ति है तो वह राष्ट्रीय
अध्यक्ष के समक्ष लिखित रूप से अपत्ति कर सकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्णय अंतिम एवं बाध्यकारी
होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्णय को किसी भी न्यायालय में चुनौती नही दी जा सकती।
(1) राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अध्यक्ष सहित 51 सदस्य होंगें। राष्ट्रीय सम्मेलन अध्यक्ष सहित 41
सदस्यों का निर्वाचन करेगा। 10 सदस्यों को राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिये मनोनीत
करेगा। ऐसे सदस्यों के लिये पार्टी का सक्रिय होना अनिवार्य होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकारिणी के
सदस्यों मे से 6 उपाध्यक्ष एक कोषाध्यक्ष, 1 महासचिव एवं 6 सचिवों को मनोनीत करेगा।
(2) जनशक्ति एकता पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन या विशेष सम्मेलन द्वारा लिये गये निर्णायों का
क्रियान्वयन कराने का दायित्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी का होगा।
(3) पार्टी के संविधान की विभिन्न धाराओं की व्याख्या एवं प्रयोग संबंधी मामलों मे राष्ट्रीय
कार्यकारिणी का अधिकार अंतिम एवं निर्णायक होगा।
(4) राष्ट्रीय कार्यकारिणी पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन की प्रत्येक बैठक के समक्ष सम्मेलन की पिछली
बैठक की कार्यकारिणी का विवरण और उस बैठक की विषय सूची रखेगी।
(5) राष्ट्रीय सम्मेलन का कोई सदस्य यदि सम्मेलन की बैठक में कोइ प्रस्ताव लाना चाहता है तो वह सम्मेलन
की बैठक से कम से कम 15 दिन पहले राष्ट्रीय कार्यकारिणी के समक्ष अपना प्रस्ताव भेजेगा। राष्ट्रीय
कार्यकारिणी प्रस्ताव से सहमत होने की द्वारा मे विचार हेतु सम्मेलन मे ला सकती है।
(6) राष्ट्रीय कार्यकारिणी पार्टी की समस्त इकाइयों के रिकार्ड अभिलेख, कागजात, और वही खाता की जाँच
करने के लिये लेखा परीक्षकों या अन्य अधिकारियों की नियुक्ति कर सकती है। सभी इकाइयों के लिये इन लेखा
परीक्षकों एवं अधिकारियों को वांछित सूचना उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा।
(7) आवश्यकता पड़ने पर पार्टी को सुचारू रूप से चलाने के लिये नियम बनाना, नियमों का क्रियान्वयन कराना
राष्ट्रीय कार्यकारिणी का अधिकार होगा। राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा इस तरह बनाये गये नियमों का
अनुमोदन राष्ट्रीय सम्मेलन की अगली बैठक मे अनिवार्य रूप से किया जायेगा। इस तरह के नियम राष्ट्रीय
कार्यकारिणी द्वारा बनाये जाने के तुरन्त बाद से ही लागू हो सकेगें, भले ही उनका अनुमोदन बाद में
हो।
(8) पार्टी संविधान के अधीन विभिन्न इकाइयों को निर्देश देने का अधिकार राष्ट्रीय कार्यकारिणी को
होना।
(9) राष्ट्रीय कार्यकारिणी ही वह तारीख तय करेगी जिस पर उसके अन्तर्गत जिला और राज्य इकाइयों तथा
राष्ट्रीय सम्मेलन के गठन का कार्य पूरा होगा।
(10) राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दो माह में कम से कम एक बार अध्यक्ष द्वारा अवश्य बुलाई जायेगी।
(11) संसदीय दल का नेता राष्ट्रीय कार्यकारिणी का पदेन सदस्य होगा। राज्य कार्यकारिणी के अध्यक्ष और
पार्टी के विधान मण्डल दल के नेता राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगें। सम्बद्ध संगठनों के
राष्ट्रीय अध्यक्ष कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे।